विजिलेंस की छापेमारी से थर्राया आरटीओ प्रशासन, परिवहन आयुक्त से लगायी बचाव की गुहार
कानपुर। आरटीओ विभाग को बाप की जागीर समझने वाले अफसर इन दिनों विजिलेंस के भय से खौफजदा है। खौफ से मुक्ति पाने वास्ते अफसरों ने परिवहन आयुक्त के आगे नतमस्तक होने से भलाई समझी है। पत्र के माध्यम से उन्हें समस्याओं से अवगत कराया है। विजिलेंस की जांच में विभाग में कार्यरत प्राइवेट कर्मी रडार पर पर है। ज…
सावधान: देश के सौहार्द को बिगाड़ सकता है पी.एफ.आई
सावधान: देश के सौहार्द को बिगाड़ सकता है पी.एफ.आई हॉल ही में जी घटित हाथरस काण्ड में पहुंचे आप पार्टी नेता संजय सिंह पर फेंकी गई।काली स्याही के बीच पी एफ आई एजेंट की गूंज ने मानो।एक पल के लिए देश की खुफिया एजेंसियों के माथे पर बल डाल दिया हो।शाहीन बाग में सी ए ए/एन आर सी व एन पी आर परमची बवाल के दौर…
कानपुर। शहर भ्रष्ट पुलिस कर्मियों व डिजाइनर पत्रकारों के हवाले 
क्या आजादी से गुलामी भली।जी हां ये एक तीखा सवाल है। जो सोचने पर आपको विवश जरूर करेगा। शहर के नौबस्ता थाना क्षेत्र में एक पत्रकार को आत्महत्या करने लिए विवश होना पड़ा ।क्या ये प्रकरण खाकी को कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगता जहां वजह भी खाकी।आज कानपुर शहर में छाए मुद्दों पर केवल खाकी ही निशाने पर ।…
उ प्र पुलिस को कानून से खेलकर अपराधियों का संरक्षण देना पड़ा महंगा
कानपुर पुलिस की गद्दारी ने ली 8 पुलिसकर्मियों की जान।चर्चित हत्यारा विकास दुबे की हिस्ट्रीशीट से ही मालूम होता है।कि व दुर्दांत मानसिकता का अपराधी है।सन 1994 में एक किसान की हत्या ने नाम आने के बाद गवाह न होने से मुकदमा से बरी होने के बाद मानो अपराध की फेहरिस्त बढ़ाने के दौरान प्रदेश में भाजपा कार्य…
धर्मपरिवर्तन के नाम पर दलित समाज की बलि आखिर कब तक ।
आज आपको भारत मे सोशल मीडिया पर अक्सर हिन्दू वर्ग दलित समाज के लोग हिन्दू देवी देवताओं से संबंधित आपत्तिजनक पोस्टों को बनाना व उसका प्रचार प्रसार करते दिखाई देते है लेेेकिन वो असल में दलित है ही नहीं कुछ चंद रुपयों के खातिर तो अपना जमीर मिसिनरी को बेच दिया। और साजिश दलित समाज को बदनाम करने का।और नेत…
कानपुर नगर में मरकज व तब्लीकी जमात के होते विस्तार का जिम्मेदार आखिर कौन ?
कानपुर शहर की एल आई यू  व पुलिस प्रशासन धृतराष्ट्र के रूप में है विधमान। और योगी जो को करते है भ्रमित।नगर में बनी बड़ी ईदगाह का नाम कब बदल कर मरकजी ईदगाह रख दिया जाता है।ये स्वयं अधिकारियों को भी नही मालूम होगा। महज बजरिया थाने से 200 मीटर दूर स्थित बड़ी ईदगाह का नाम बदल जाता है और शासन प्रशासन को भन…
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